भगवत गीता की 5 रहस्यमयी बातें -

भगवत गीता की इन 5 रहस्यमयी बातों को जानने के बाद आपका जीवन एक पल में बदल जाएगा-
आपने अकसर बड़े बुजुर्गों को कहते हुए सुना होगा की भागवत गीता में जीवन का महत्वपूर्ण सार है. अर्जुन को महाभारत में श्रीकृष्ण भगवान ने उपदेश दिए थे. जिसके कारण पार्थ को वह युद्ध जीतना आसान हो गया. भले ही वह उपदेश महाभारत काल के थे लेकिन उनका असर आज भी हमारे दैनिक जीवन के लिए इतना महत्वपूर्ण है.
उस समय अर्जुन को श्री कृष्ण भगवान द्वारा दिए गए उपदेशों से ना सिर्फ अर्जुन की दुविधा शांत हुई बल्कि आज भी वह उपदेश मानव जीवन के समस्याओं के लिए एक श्रेष्ठ साधन है. आज भी यह हमारे जीवन जीने के लिए बहुत मददगार साबित हो रहे हैं. हम आपको पांच ऐसे रहस्य बताने जा रहे हैं जिसे जानने के बाद आपका जीवन बदल जाएगा
1. स्वार्थ-
मनुष्य का स्वार्थ उसे दुनिया के हर सुख दुख से और नकारात्मक हालातों की ओर निरंतर धकेले ले जाता है जिस कारण इंसान अकेला पड़ जाता है. स्वार्थ शीशे पर लगी धूल की तरह है जिससे मनुष्य अपनी प्रतिबिंब देखने में असफल होता है. अगर अपने इस छोटे से जीवन में खुश रहना चाहते है तो उस स्वार्थ को कभी अपने पास भी भटकने मत दे.
2. खुद का आंकलन करना-
इंसान न जाने खुद को एक सच्चा और सीधा साधा समझता है लेकिन दूसरों को अपने विपरीत कपटी अज्ञानी विरोधी समझने की भूल कर देता है. अगर आपके अंदर भी ऐसी भावना है तो उसे आत्मज्ञान की तलवार से काट कर फेंक दीजिए
3. देखने का नजरिया-
जो इंसान अपने देखने के नजरिए को सही प्रकार से इस्तेमाल नहीं करता है. वह हमेशा अंधकार के समंदर में धसता चला जाता है. जो ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है उसी का नजरिया सही साबित होता है.
4. खुद का निर्माण करना-
मनुष्य जब करने पर आता हैं तो वह बहुत कुछ कर देता है लेकिन वह अपनी ही कपटी भंवर में हमेशा फंसा रहता है. मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है.
5. गुस्से पर काबू करना-
गुस्से से भ्रम पैदा होता है और उस भ्रम से इंसान की बुद्धि का नष्ट होता है. जब इंसान की बुद्धि काम करना बंद कर देती है तो उनका सोचने समझने का तर्क भी नष्ट हो जाता है और जब तर्क नष्ट हो जाता है तब मनुष्य का तेजी के साथ पतन होने लगता है.

"महाभारत काल में कहे गए श्री कृष्ण द्वारा यह अनमोल उपदेश बेशक हजारों साल पहले कहें गए हो लेकिन कहीं ना कहीं आज भी इसकी जरुरत हमें है.अगर हम इसकी सार्थकता को समझते हुए इसे अपने जीवन में आत्मसात कर ले तो हमारा जीवन ही बदल जाएगा."
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